रिश्ते
बंधन है या मुक्ति है.
जिज्ञासा है या तृप्ति है।
भावनाओं की नाज़ुक कश्ती है
या, जीवन की सिर्फ अभिव्यक्ति है।
कुछ सच्चा है, कुछ झूठा है,
कोई खुश है, तो कोई रूठा है।
कुछ बातें है, कुछ यादें हैं,
कुछ जाते, तो कुछ आते हैं।
जीवन के पहले दिन से ही ये साथ हमारा देते
हैं,
बस रूप नया ले लेते हैं, और नाम नया रख
लेते हैं।
कोशिश करने से भी इनसे दूर नहीं जा पाते
हैं,
हर राह की हर एक मोड़ पर इन्हें पास खड़ा
हुआ पाते हैं।
एक नाज़ुक सी डोर है ये, पर नहीं कहीं
कमज़ोर है ये,
नज़र न आए हमको ये पर जकड़े हुए हैं मन को
ये।
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