Friday, 9 August 2013

क्या मुझे भी ईदी मिलेगी?



ईद मुबारक, आज सभी गले मिलकर या बिना मिले ही मुबारकबाद बांट रहे हैं। शकील भाई के घर में पक रहे पकवानों की खुशबू पड़ोस में रहने वाले तिवारी जी के बेडरूम तक पहुंच रही है। बच्चों को हर बड़े से ईदी मिल रही है। मुझे बचपन से ईद की जो दो बातें सबसे ज़्यादा लुभाती हैं वो हैं मीठी-मीठी तरह तरह की सेवाइयां और ईदी। कई बार ईद पर अपनी दोस्त बुशरा के घर गई सेवइयां खाने..और उसके अब्बू अम्मी ने मुझे ईदी भी दी।
इस बार की ईद पर मैं बहुत से लोगों से ईदी लेना चाहती हूं लिस्ट बड़ी लंबी है..पर अगर कुछ लोगों से ही मिल जाए तो मेरी तिज़ोरी भर जाएगी।

सबसे पहले तो मैं अपने नेताओं से मौनव्रत रखने को कहना चाहती हूं जिससे उनके मुंह से निकलने वाले विषैले शब्दबाणों से जो प्रदूषण फैल रहा है वो कंट्रोल हो और जनता चैन की सांस ले सके।

दूसरी ईदी मुझे अपने प्रधानमंत्री जी से चाहिए वो ये है कि कृपया आप अपना मौनव्रत तोड़ दे, आपके उपवास से जिन्हें जो फायदा उठाना था उठा चुके अब अपनी विशेषज्ञता दिखाइये और रुपये को उठाइये।

तीसरी ईदी मुझे ऑटो रिक्शावालों से चाहिए जिन्होंने ऑटोरिक्शा खरीदा तो है चलाने के लिए पर अक्सर कहीं जाने को तैयार नहीं होते, अरे भाइयों अगर कहीं जाना नहीं तो घर जाकर आराम करों और सड़क पर क्यों लोगों का वक्त ज़ाया करते हो और बीपी बढ़ाते हो।

चौथी ईदी, ये तो सबसे ख़ास लोग हैं अक्सर हर लड़की से टकरा जाते हैं, सड़क, बस, ट्रेन हो या ऑफिस इन्हें हर लड़की अपनी ज़ागीर लगती है जब चाहा जहां चाहा अपनी दिमागी कंगाली का पिटारा खोल देते हैं, ऐसे सभी लोगों से विनम्र निवेदन हैं कि जब भी इस तरह की हरकत के लिए तन मन फड़फड़ाए तो फौरन खुद को जन्म देने वाली उस औरत को याद कर लेना और सोचना कि क्या उसके साथ ऐसा कर सकते हो।

पांचवी ईदी मुझे अपने इस प्रगतिशील समाज से चाहिए जो रोज नए मुकाम हासिल कर रहा है पर तरक्की की दौड़ में हमारा धैर्य, सहनशीलता, संतोष,प्रेम, और विश्वास ये सब रास्ते में कहीं गिरते गए और हम इन्हें रौंदते आगे बढ़ते जा रहे हैं..ज़रा रुकिए हर बार पीछे मुड़कर देखने से नुकसान नहीं होता..तो रूकिए पीछे मुड़िए और और अपने बिखरे पड़े जज़्बातों को समेटकर फिर से हरा करिए..शर्त लगाती हूं अगली ईद में दिल से सच्ची मुबारकबाद निकलेगी।

पता नहीं मुझे ये ईदी मिलेगी या नहीं? पर आप अपनी ईदी संभालकर रखिएगा क्योंकि इसमें अपनों की सच्ची दुआएं होतीं हैं बिना कोई मिलावट।


एक बार फिर ईद मुबारक!

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